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खुद को अपनाना भूल गए हम

Zindagi ki uljhano me itna ulajh gye hum….!
Dusro ko apna kahte-kahte……..!
Khud ko apnana bhul gye hum………!!!!

~ Smiruchika

 


 

जिंदगी की उलझनों में इतना उलझ गए हम….!
दुसरो को अपना कहते-कहते……..!
खुद को अपनाना भूल गए हम….

~ समिरुचिका

 

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जो जीते हैं सिर्फ़ अपनी खुशियों के लिए

जो जीते हैं सिर्फ़ अपनी खुशियों के लिए, उनके लिए रिश्तों का मोल होता नहीं है।
खो जाते हैं वो किसी दूसरी दुनिया में, वास्तव में उनके लिए कोई रोता नहीं है।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘भरत जी’

 

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हारकर भी ज़िन्दगी को जीतने का जज़्बा

हारकर खामोश हो गया ज़िन्दगी से, थककर चूर हो गया ज़िन्दगी से,
कोशिश फिर भी जारी है, अभी लड़ाई ख़त्म नहीं ज़िन्दगी से।

 

~ उमेश मुकाती

 

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प्यार भी है और तकरार भी

लोग अच्छे भी हैं यहाँ पर, गले लगाने की ज़रूरत है।
प्यार भी है और तकरार भी, सिर्फ़ मुस्कराने की ज़रूरत है।

 

~ जितेंद्र मिश्र ‘बरसाने’

 

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कामयाबी के फ़िक्र में ज़िन्दगी

Kamyabi ke Fikar me Zindagi Status

 

अब पहले जैसी ना रही ज़िंदगी बस सोचते सोचते गुज़र रही है,
मौज तो बचपन में थी यारों अब तो कामयाबी के फ़िकरों में निकल रही है।

 

~ Nitish Dutt

 

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