जलते बुझते दिये सा लग रहा हूँ
मैं अंदर ही अंदर भभक रहा हूँ
किसी और की ज़रूरत ही क्या मुझे अब
मैं ठहरा खुदगर्ज खुद ही खुद को ठग रहा हूँ
ये कैसी आग है जो जलती नहीं
बुझकर भी अश्क़ों के साये में सुलग रहा हूँ
शख्स था जो मुझमें जाने कहाँ चला गया
असल में भी अब तो नकल सा लग रहा हूँ।
a nice one
I love you
nice shayeri
Butiful line