पहले दोस्त, दोस्त की मदद करता था दोस्ती के लिए
आज दोस्त, दोस्त की मदद करता है अक्सर अपने स्वार्थ के लिए
पहले दोस्त पैसा दोस्त को दे देता था हमेशा के लिए
और दोस्त कैसे भी करके लौटाता था, मन के सुकून के लिए
आज कल दोस्ती तो लगता है, जैसे नाम के लिए रह गयी हैं
कितना सब बदल गए हैं और कितनी सोच भी बदल गयी हैं
और कहते हैं अपने दोस्त को जो उधार दे वो मूर्ख कहलाये
और जो उधार वापस करे, वो उससे भी बड़ा मुर्ख कहलाये
दोस्ती का नाम बदनाम हुए जा रहा हैं
फिर भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा हैं
माहौल दिन-ब-दिन ख़राब होता जा रहा हैं
इंसान का इंसान से विश्वास उठता जा रहा हैं
बदलता माहौल देख बहुत दुःख हो रहा हैं
देखो दोस्तों इंसान कहा से कहा जा रहा हैं |
Poetry By ~ BANSI DHAMEJA