वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है
बेखयाली के लम्हों में,
यूँ ही तेरा खयाल आया जाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
घिर जाऊं जो सावन की घटाओं से,
काश तेरे साथ होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
नींद ना आये जब रातों में,
तो तेरी तस्वीर देखकर मुस्कुराने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर अधूरा से महसूस हो खुदमे,
तो तेरी दोस्ती निभाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
गर रूठ जाऊं मैं कभी हालातों से,
तो तेरा मुझे कसकर गले लगाने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।
रहते तो बहुत दूर हो हमसे,
पर पास ना होकर भी पास होने का
वो एहसास, मुझे अच्छा लगता है।।
~ शायरों की टपरी
bahut achi kavita hai
very nice to read