सूरज की रौशनी फीकी पड़ जाए
ऐसी भी कोई चांदनी रात होनी चाहिए
आँखों में गुम हो जाऊ तुम्हारी,
ऐसी भी कोई बात होनी चाहिए
पीठ पीछे तो सब बोलते है मेरी जान
जो सामने बोलके दिखाए वो औकात होनी चाहिए
झुकता नहीं सर यूँही किसी डर के आगे
हर सर झुक जाये उस डर में वो बात होनी चाहिए
~ Pari