0 आसुओं की बुँदे टपक रही हैं Posted on April 28, 2021 by techi जिन आखों से आज आसुओं की बुँदे टपक रही हैं, कभी उन में से दरिया -ए- नूर बरसा करता था, ये जो चारों और बंजर सा जमीन देख रहे हो ना कभी यहां पर भी मुस्कुराहट का सैलाब हुआ करता था ~ Biswajit Rath Share This Related posts: अपने ही आँसुओं की वजह Motivational Poems in Hindi about Success दर्द भरे अलफ़ाज़ | परदा गिरे तो सच से रूबरू होंगे हम Aakhir ye (♥) Dil kya chahta h ? Naye Saal Ke Sapne Hindi Poem on New Year ये है ज़िन्दगी ए खुदा तेरी रज़ा क्या है?