
Matlabi Duniya Par Shayari
तुम्ही को मुबारक रहे दोस्तों, मुझे ऐसी दुनिया नहीं चाहिए
अपने ही मतलब से भरी इस दुनिया में कैसे कैसे हैं लोग
पिघलती नहीं आंसूओ से कभी, ये दुनिया वह पत्थर की दिवार हैं
किसी के गम से इसे क्या काम, ये दुनिया ख़ुशी की खरीददार हैं
ये दुनिया तो हैं एक नीलाम घर, यहाँ ज़िन्दगी बेच देते हैं लोग
किसे अपना, किसे अजनबी समझें, यहाँ मोहब्बत तक बेच देते हैं लोग
तुम्ही को मुबारक रहे दोस्तों, मुझे ऐसी दुनिया नहीं चाहिए
अपने ही मतलब से भरी इस दुनिया में कैसे कैसे हैं लोग