0 जीने के लिए हम क्यों उनकी यादों का सहारा Posted on March 2, 2022 by techi बेरुखी, बे-बसी, खुदगर्ज़ी हम ये जुर्म हमेशा सहते हैं बेवफा हैं वो इस बात को हम सर-ए-आम क्यूँ नहीं कहते हैं ज़िंदा रहना इस दुनिया में हर दिल की एक मज़बूरी हैं तो जीने के लिए हम क्यों उनकी यादों का सहारा लेते है ~ Sunil Dehgawani Share This