0 सरहदों पर हिफाजत के लिए Posted on July 30, 2021 by techi एक सच्ची शहादत के लिए। बुजुर्गों की विरासत के लिए। घर छोड़ा, गांव छोड़ा, छोड़ा जहां, सरहदों पर हिफाजत के लिए । ~ अब्दुल रहमान अंसारी (रहमान काका) Share This Related posts: एक अजनबी के घर में गुजारी है जिंदगी मोहब्बत के रंग, प्रेम-प्रीत का सबक है होली दिल को छूने वाली लाइन्स घर के बड़े और बुज़ुर्गों पर हर कोई शहर में आखरी खत शायरी Superb Zindagi Quote | True Life Message on Busy Person तेरी जुदाई में हर रोज़