0 एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़ Posted on October 13, 2021 by techi हाल अपना सुनाएं हम कैसे उन्हें, वो तो ग़ैरों की महफ़िल में रमे जा रहे। एक नज़र भी ना देखें वो मेरी तरफ़, बेरुखी से हम उनकी मरे जा रहे।। ~ महेश ओझा (Mahesh Ojha) Share This Related posts: मेरी ज़िन्दगी हैं तू खेल सारा चमक धमक का तेरा मुझसे दूर जाना मेरी जान निकाल देता है जो देखे वही हैरान हो जाए दुश्मन भी तेरा कद्रदान हो जाए इन खुशियों को मेरी ही नजर ना लग जाये मेरी मजबूरी को समझो मैं गुनाहगार नहीं तुम मेरी सरगम बनो और मैं संगीत