Eid Love Shayari for Lovers (Boyfriend, Girlfriend)

Eid Mubarak Love Shayari Wishes in Hindi
महक उठी है फ़िज़ा पैरहन की ख़ुश्बू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
दिलों में प्यार जगाने को ईद आई है
हँसो कि हँसने हँसाने को ईद आई है
करता रहे जमाना
फलक से चांद की दीद
अपनी तो उनसे गले
मिलकर ही होगी ईद..!
उमड़ रहा है मुझमें
जज्बा तेरे दीदार का
लगा ले गले आया है
मौसम ईद का..!
ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
वादों ही पे हर रोज़ मेरी जान न टालो
है ईद का दिन अब तो गले हमको लगा लो~ Mushafi
देखा ईद का चाँद तो मांगी ये दुआ रब से
दे दे तेरा साथ ईद का तोहफा समझ के..
उधर से चाँद तुम देखो, इधर से चाँद हम देखे
निगाहें इस तरह टकराएं की दो दिलों की ईद हो जाएँ
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Eid Mubarak Love Status, Wishes in Hindi
ना हाथ दिया, न गले मिले, ना कुछ बात हुई
अब तुम ही बताओ ऐ साजन ये क़यामत हुई के ईद हुई
ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का
ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का
ऐ रूठे हुए दोस्त मुझे इतना बता दे,
क्या मुझ से गले मिलने का अब मन नहीं होता,
बच्चों की तरह दौड़ के आ सीने से लग जा,
ये ईद का दिन है कोई दुश्मन नहीं होता.
तुम दिख जाओ कभी
वो दिन भी मेरा ईद से कम नहीं होता
इस ईद भी मुझे तेरी दीद चाहिए
बगैर तेरे मुझे कभी कोई ना ईद चाहिए
ईदी में मिलो तुम तो हमारी भी ईद बने
हम भी कभी जन्नत के चश्मदीद बने..!
उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना
ये भी कहना कि मेरी ईद मुबारक कर दे– दिलावर अली आज़र
कितनी मुश्किलों से फलक पर नज़र आता है
ईद के चाँद का अंदाज़ तुम्हारे जैसा है
लगता है, आज वो बेपर्दा निकल आए है बाज़ार में,
चारों तरफ शोर है… ईद मुबारक, ईद मुबारक…
बाकी दिनों का हिसाब रहने दो
ये बताओं ईद पे तो मिलने आओगे ना
कोई कह दे उनसे जाकर की छत पे ना जाए
बेवजह शहर में ईद की तारीख बदल जाएगी
तुझे याद करते है तो ईद मना लेते है
हम ने अपने लिए त्यौहार अलग रखा है
खुशियां खरीद कर सारे जहां की तेरे कदमों में ला देंगे
इससे भी बात ना बनी तो तुम्हे चांद ईद का दिला देंगे
तेरे चेहरे को जिस दिन देख लूँ
चाहत मेरी बढ़ जाती है
तेरे होठों की मुस्कान से आधा
चांद बन जाए तो मेरी ईद हो जाती है..!
“तेरी दुनिया, तेरी उम्मीद तुझे मिल जाए
चाँद इस बार तेरी ईद तुझे मिल जाए
जिसकी यादों में चिराग़ों सा जला है शब-भर
उस सहर-रुख़ की कोई दीद तुझे मिल जाए…”– डॉ कुमार विश्वास
उसे मालूम है उसके आने से हो जायेगी ईद मेरी
चाँद सा वो मेरे आँगन में उतर क्यों नहीं आता।
बस एक झलक उसकी भर देगी खुशियों से मुझे,
वो मोतियों सा मेरे होठों पे बिखर क्यों नहीं जाता।
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